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भारतीय तिरंगा का इतिहास

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दोस्तों जो तिरंगा आज हमारे देश भारत की आन-बान-शान माना जाता है क्या आप उस तिरंगे की हिस्ट्री को जानते हैं क्या आपने कभी सोचा कि झंडे को देखकर आज हिंदुस्तान में रहने वाला हर इंसान गर्व महसूस करता है वह झंडा कब बनाया गया था और क्यों बनाया गया था और झंडे का डिजाइन जो आज हम देखते हैं यह डिज़ाइन सबसे पहले किस इंसान के दिमाग में आया था तो दोस्तों इस तरह की तमाम चीजों के बारे में आज की इस वीडियो में हम बात करेंगे और भारत के झंडे से जुड़े बहुत जरूरी जरूरी बातें आज की इस वीडियो में हम जानेंगे
तो दोस्तों वीडियो शुरू करने से पहले बस मेरी आपसे एक छोटी सी गुज़ारिश है कि नए आने वाले दोस्त चैनल को सबस्क्राइब करके साथ ही में बेल आइकन को भी प्रेस कर दें और हमारी हौंसला अफजाई के लिए हमेशा की तरह हमारी इस वीडियो को लाइक कर दें ताकि इसी तरह की नॉलेजेबल और हिस्टॉरिकल वीडियोस का सफर हम जारी रखेंगे I
दोस्तों वैसे तो 1857 में जब हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की थी थे तब ही से हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों को एक झंडे की कमी महसूस होने लगी थी क्योंकि हिंदुस्तानी अंग्रेजों के खिलाफ जब भी कोई आंदोलन किया करते थे या बड़ी रैली निकालने की सोचा करते थे तो उनके पास कोई ऐसा झंडा मौजूद नहीं हुआ करता था जिसके जरिए से वो तमाम हिंदुस्तान के लोगों को चाहे वह हिंदू हो मुस्लिम हो सिख हो या इसाई हो सबको एक झंडे के नीचे जमा कर सकें और किसी भी जंग के लिए सबसे जरूरी चीज झंडा होती है क्योंकि उसी झंडे के तले ही तमाम जनता संगठित होती है और वो हिंदुस्तान के लोगों के पास अभी तक मौजूद नहीं था लेकिन क्योंकि अंग्रेजों के खिलाफ पुरे हिंदुस्तान में जगह जगह पर लड़ाई शुरू हो चुकी थी इसी वजह से हर इलाके में लोगों ने अपना-अपना हिंदुस्तानी झंडा बनाना शुरू कर दिया था अगर आप इंडिया के झंडे की हिस्ट्री को पढेंगे तो सबसे पहले आपको 1869 में बनाया हुआ वह झंडा दिखाई देगा जो बंगाल में बनाया गया था बंगाल में अंग्रेजों के खिलाफ एक रैली निकाली गई थी जिसमे ऐसा झंडा था जो तीन रंग से बनाया गया था और यह शायद हिंदुस्तान का पहला तिरंगा भी था जो तीन रंगों से तैयार किया गया था इस तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया रंग था बीच में पीले रंग की पट्टी थी और नीचे हरे रंग की पट्टी थी बीच वाली पीली पट्टी पर हिंदी में वंदेमातरम लिखा हुआ था और नीचे कि हरी पट्टी पर एक सूरज और चांद तारा बना हुआ था इसके बाद हिंदुस्तान का अगला झंडा भीखाजी कामा ने 22 अगस्त 1877 को बनाया था यह झंडा बंगाल के झंडे से थोड़ा सा अलग था इसमें सबसे ऊपर वाली पट्टी हरी थी और नीचे की पट्टी केसरिया नहीं बल्कि लाल कलर की थी बाकी तकरीबन यह झंडा बंगाल के झंडे की ही तरह था उसके बाद धीरे-धीरे राष्ट्रपिता गांधी जी को भी हिंदुस्तान के झंडे की टेंशन सताने लगी थी और उनके दिमाग में भी यही बात चल रही थी कि हिंदुस्तान का एक ऐसा झंडा होना जरूरी है जिसके नीचे तमाम हिंदुस्तान में रहने वाले लोग जमा हो सके गांधीजी ने एक शख्स को यह आर्डर दिया कि तुम एक ऐसा झंडा तैयार करो कि जिसमें हरा और लाल दोनों रंग हो और उन दोनों रंगों के ऊपर एक चरखा बना हुआ हो गांधी जी के ऑर्डर पर पिंगली वेंकय्या ने एक ऐसा झंडा तैयार किया कि जिसमें ऊपर हरा कलर था और नीचे रेड कलर था और उन दोनों के बीच में एक चरखा बना हुआ था लेकिन गांधी जी को यह झंडा बिल्कुल भी पसंद नहीं आया उसके बाद उन्होंने पिंगली वेंकय्या को यह कहा कि इन दो रंगों के अलावा एक रंग और शामिल किया जाए और नया रंग होना चाहिए सफेद तो दोस्तों गांधी जी के मशवरे पर पिंगली वेंकय्या ने अब उसमें तीसरा रंगीन शामिल कर लिया बड़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार 1931 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की तरफ से इस झंडे को परमिशन दे दी गई कि जो तीन कलर का था जिसमें सबसे ऊपर केसरिया कलर था बीच में सफेद कलर और नीचे ग्रीन यानी हरा कलर था और झंडे के बीच में एक चरखा बना हुआ था जो गांधी जी की फरमाइश पर बनाया गया था 1947 तक यह इंडिया का झंडा रहा और इसी झंडे के नीचे पूरे इंडिया के लोगों ने अपनी आजादी की लड़ाई लड़ी थी 1947 में जब अंग्रेज भारत को छोड़कर चले गए तो पूरे हिंदुस्तान के सामने सबसे बड़ा सवाल और सबसे बड़ी मुसीबत यही थी कि आखिर अब भारत का झंडा कैसा बनाया जाए क्योंकि अभी तक जिस झंडे के नीचे रहकर हिंदुस्तान के तमाम लोगों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी वह भारत का झंडा नहीं था बल्कि कांग्रेस पार्टी का झंडा था और भारत के झंडे को कांग्रेस पार्टी के झंडे से अलग रखना बहुत जरूरी था सो 1947 में एक ऐसी टीम बनाई गई जिसे यह जिम्मेदारी दी गई कि वो भारत के पुराने झंडे में बदलाव करके इंडिया का एक नया झंडा तैयार करें उस टीम में जवाहरलाल नेहरू डॉ भीमराव अंबेडकर सरदार बल्लभ भाई पटेल और डॉक्टर मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे बड़े नेता शामिल थे दोस्तों उस वक्त संविधान सभा के एक जनरल सिक्योरिटी हुआ करते थे जिनका नाम था बदरुद्दीन तैयब जी I
बदरुद्दीन तैयबजी ने संविधान सभा के सामने यह प्रस्ताव रखा कि क्यों ना हम भारत के पुराने झंडे से चर्खे को निकाल कर उसकी जगह अशोक चक्र लगा दें बदरुद्दीन तैयबजी का यह प्रस्ताव सभी लोगों को बहुत पसंद आया और फिर हमेशा के लिए बदरुद्दीन तैयबजी के इस प्रस्ताव को मान लिया गया और भारत के तिरंगे में अशोक चक्र को शामिल कर लिया गया लेकिन दोस्तों बदरुद्दीन तैयबजी ने जो प्रस्ताव संविधान सभा के सामने रखा था वह उनके खुद के मन का आइडिया नहीं था बल्कि सुरैया जो की बदरुद्दीन तैयबजी की वाइफ थी उनके ही मन में ये आइडिया सबसे पहले आया था फिर सुरैया जी ने कागज पर तिरंगे का नक्शा बनाया था और उसमें चरखे की जगह अशोका चक्र शामिल किया था और कागज के टुकड़े पर बने हुए तिरंगे के उसी नक्शे को बदरुद्दीन तैयबजी ने संविधान सभा में पेश किया था जिसे हर एक ने बड़ी खुशी के साथ कुबूल कर लिया था और आज तक हमारे देश का झंडा बिल्कुल वैसे आज भी बना हुआ है और उसी डिज़ाइन के साथ लहरा रहा है I
तो दोस्तो अगर आप लोगों को यह वीडियो पसंद आया हो तो इस वीडियो को जरूर लाइक करें और इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करें


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